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Wednesday, September 9, 2020

धर्मनिरपेक्षता आज के भारतीय राजनीतिक परिवेश मे


 आज के भारत का राजनीतिक परिवेश धर्म के दवे्ष से दुषित हो चुका है! प्र्त्येक राजनीतिक पार्टियॉ किसी धर्म विशेष के अनुयायियो का प्रतिनिधित्व कर रही है। ये पार्टियॉ अवसर की ताक मे रहती है कि कहॉ उसे अपने धर्म की राजनीतिक रोटियॉ सेकने का मौका मिल सकता है। धर्म निरपेक्षता तो अब भारत की राजनीति मे नाम-मात्र का रह गया है। इसकी  अब वो किमत नही रही जिसके साथ इसे भारत के संविधान मे सम्मिलित किया गया था। वैसे धर्मनिरपेक्षता तो संविधान के मौलिक अधिकारो से ही स्पष्ट होजाता है जिसमे अनुच्छेद २५ मे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की भी बात कही गइ है। परन्तु संविधान के प्रस्तावना पत्र मे इसे नही रखा गया था। बाद मे इन्दिरा गांधी ने ४४वें संविधान संसोधन  के समय धर्मनिरपेक्षता शब्द को सम्मिलित कराकर भारत के अल्पसंख्यक और दलित समुदाय को गौरवान्वित किया था। परन्तु अाज भारत के संविधान की आत्मा पर चोट की जा रही हैऔर हम सभी कुछ नही कर पा रहे है। इसके लिए स्पष्ट व कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है अगर आज हम ये नही कर पाये तो हमारी आनेवाली पीढ़ि हमसे प्रश्ऩ करेगी कि हम उसके लिए कौन सा हिन्दुस्तान छोड़कर गए। 

ये एक साधारन लड़ाइ नही है ये एक विचारधारा की लड़ाइ है ये लड़ाइ है राजनीतिक अस्तित्व बचाने का। 

अगर आज हम ये नही कर पाए तो जिस  धर्मनिरपेक्ष भारत मे हम रह पाए सुख -शांति से वो हमारी आनेवाली पिढ़ि को नही मिल पाएगी। अगर आज ये संघर्ष हम नही करते है तो हमारी आनेवाली नस्ले  परवान चढ़ने से पहले इन  अधर्मियो के विचारधाराआे के विरुद्ध संघर्ष करने मे फंस जाएगी। आज आवश्यकता है हिन्दुवादी विचारधारा के खिलाफ एक राजनीतिक युद्ध छेड़ने का। उन्हे ये संदेश देना है कि हिन्दु राष्ट्र का निर्मान  कर तुम एक खास धर्म के अनुयायियो और दलितो को गुमनामी के अंधेरे मे ढकेल रहे हो और अगर तुम बाज नही आए तो भारत गृह युद्ध के अंधेरे मे चला जाएगा।ये अहिंसा का देश हिंसा का उदाहरन बन जाएगा। अब भी वक्त है संभल जाआे नही तो इतना जान लो जीतना तुम कमजोरो को सताओगे उस पर हिन्दुवादी विचारधाराओं से वार करोगे तो वो और मजबूत होगा। वे एकता के सुत्र मे बंधेंगे। तब तुम जान लेना तुम्हारी खैर नहीं रहेगी। इसलिये फैसला तुम्हारे हाथ मे है या तो अल्पसंख्यक के उपर वार करके उसे और मजबुत बनाओ और उसे एकता के सुत्र में बांध दो या उसे हमारे भारत-निर्माता के सपनो का धर्मनिरपेक्ष भारत में रहने दो। तुम्हारा हिन्दु राष्ट्र की तरफ एक एक कदम मुसलमानो और दलितो की एकता का संदेश है और जब ये एक हो गये तो तुम मुठ्ठी भर अपने आपको उच्च-वर्ग कहने वाले याद कर लेना 1972 में युगांडा मे क्या हुआ था। वही हाल ये लोग तुम्हारा करेंगे तुम हिन्दु राष्ट्र बनाने लायक तो बचोगे नही  और भारत की हवाये भी तुम से अनजान हो  जायेगी  और विदेशो में जाकर शरन लेनी पड़ेगी। इटली ने लिबिया मे क्या किया था? इटली का मुसोलिनी  लिबीया में हजारो बर्षो पुराना रोमन साम्राज्य को स्थापित करना चाहता था। 1911 में इटली के साथ लिबिया मे क्या हुआ ? 

सिर्फ एक आदमी उमर पुरी इटली की सेना पर भारी पड़ा   और उसे उल्टे पांव अपनी धरती पर वापस आना पड़ था। तुम्हारा ये राम-राज्य का सपना भी इटली के मुसोलिनी के अधूरे सपना जैसा ही है जो फिर से लाखो दलितो को दासता के युग में धकेल सकता है। सपने देखो सपने देखने की मनाही नही है लेकिन सपने पुरे करने की हिम्मत कभी न करना नही तो जो अवाम अभी तक शांत बैठी है अपने रंग मे आ गइ तो भागने की  भी जगह नही मिलेंगी। 

इतना तुम जान लो जिसे एक बार खुली हवा में सांस लेने की आदत पड़ गइ उसे तुम कभी भी जंजीरो या सलाखो के पीछे कैद नही कर सकते। जिन मुसलमानो को उसकी माआें ने आजाद और स्वतंत्र जन्म दिया हो किसके सिने मे इतना दम कि वो उसको गुलाम बनाले

2 comments:

  1. Bhut acha lga aapki bicharo ko Jan acha lga

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  2. Bhut acha lga aapki bicharo ko Jan kar acha lga

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